👉मख़मल में टाट का पैबंद बन सिस्टम को मुँह चिढ़ा रहे है शहरी अतिक्रमण
👉आँजनेय के प्रयासों को मटियामेट करने में जुटे ख़ुद प्रशासनिक ज़िम्मेदार
👉 नवीन मार्केट इलाक़े में प्रशासन पर भारी पड़ा अतिक्रमणकारी, दीवार व मंदिर हटायें बग़ैर बन गई रोड, जाम की समस्या जस की तस
👉आबूनगर के अतिक्रमण भी बड़ी चुनौती
✍️फ़तेहपुर। पिछले साल के मध्य से अन्त तक तत्कालीन ज़िला प्रशासन ने महाभियान चलाकर शहर क्षेत्र को जिस अन्दाज़ में लगभग अतिक्रमण मुक्त करवा दिया था, अब धीरे-धीरे उस सूरत की फिर से सीरत बदलती दिख रही है। मौजूदा प्रशासन जहाँ इस मद में गंभीर नहीं है, वही नगर पालिका परिषद प्रशासन अतिक्रमणकारियों के दबाव में है! नवीन मार्केट इलाक़े में मार्ग निर्माण के दौरान जिस तरह से एक नर्सिंग संचालक की घुड़की के आगे ज़िला व पालिका प्रशासन नतमस्तक है, उससे योगी राज में प्रशासन के प्रभाव का सहज आँकलन किया जा सकता है। इसी तरह सिविल लाइन इलाक़े में ही पत्थरकटा चौराहे से शास्त्री चौराहे के बीच मुख्य मार्ग पर एक राजपत्रित अधिकारी का मकान, राजकीय इण्टर कालेज के सामने व आबूनगर में पुलिस चौकी के बग़ल में स्थित मस्जिदें अतिक्रमण हटाओ अभियान को पहले भी मुँह चिढ़ाती रही है और अब भी...!
ग़ौरतलब है कि लगभग डेढ़ वर्ष पहले यहाँ के डीएम रहे आँजनेय कुमार सिंह ने नगर पालिका परिषद के चेयरमैन प्रतिनिधि रजा मोहम्मद की पहल पर शहर में अतिक्रमण हटाओ महाअभियान शुरू कराया था और काफ़ी कुछ अतिक्रमण हटवाने में सफल भी रहे थे, जिसमें पालिका की भूमिका भी सराहनीय रही किन्तु जैसे ही आँजनेय का यहाँ से तबादला हुआ समूचे अभियान पर पलीता लग गया और या तो अवशेष अतिक्रमण तोड़ा नहीं गया या फिर पुनः अतिक्रमण शुरू हो गया !
अतिक्रमण हटाओ महा अभियान की जद में आने के बावजूद शहर के सिविल लाइन इलाक़े में स्थित नवीन (पालिका) मार्केट के सामने वाले नाले के ऊपर स्थित मंदिर की आड़ में नर्सिंग होम की मुख्य मार्ग पर खड़ी दीवार अभी भी समूची व्यवस्था को मुँह चिढ़ा रही है। हद तो तब हो गई जब नर्सिंग होम संचालक ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि वह स्वयं दीवार व मंदिर नहीं हटवाएगा, प्रशासन चाहे तो हटवा दे !
अंधेरगर्दी की हद तो तब हो गई जब अतिक्रमण के रूप में बग़ल का विद्दुत ट्रांसफार्मर तो हटवा दिया किन्तु दीवार व मंदिर को छूने तक की हिम्मत किसी की नहीं हुई। दो दिन पूर्व समूचे सिस्टम ने नर्सिंग होम संचालक की ऊँची पहुँच के सामने हथियार डालते हुए अतिक्रमण की जद को दरकिनार कर दिया और मार्ग निर्माण की औपचारिकता पूर्ण करवा दी गई। सवाल यह उठता है कि सिस्टम इतना लाचार क्यूँ है। क्या प्रशासन के मिशन को पलीता लगाने के लिये हेकड़ी काफ़ी है या फिर नर्सिंग होम की आड़ या फिर राज कुछ और है!
इसके अतिरिक्त सिविल लाइन इलाक़े में ही पत्थरकटा चौराहे से शास्त्री चौराहे के बीच मुख्य मार्ग पर एक राजपत्रित अधिकारी का मकान पूर्ण रूपेड अतिक्रमण की परिधि में आने के बावजूद अब तक खड़ा रहने से अन्य अतिक्रमणकारियों का मनोबल बढ़ा रहा है। इतना ही नहीं राजकीय इण्टर कालेज के सामने व आबूनगर में पुलिस चौकी के बग़ल में स्थित मस्जिदें अतिक्रमण हटाओ अभियान को पहले भी मुँह चिढ़ाती रही है और अब भी...!
उपरोक्त अतिक्रमण जहाँ स्वच्छ एवं सुन्दर फ़तेहपुर बनाने के महामिशन रूपी मख़मल में टाट का पैबंद के रूप में है, वही ज़िला एवं पालिका प्रशासन की इस मद में गंभीरता पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहें है। स्वच्छ एवं सुन्दर फ़तेहपुर के लिये योगी राज में इस क़दर पलीता लग रहा है कि लोगों के पास शब्द ही नहीं बचे हैं। अब तो लोग यह भी कहने लगे है कि किसी का किसी पर कोई दबाव ही नहीं रह गया है। सिस्टम से सिस्टम चल रहा है। नियम क़ायदों का कोई मतलब ही नहीं रहा। वहीं ज़िम्मेदार इस मद में कुछ भी बोलने से बच रहे हैं, जो अपने आप में सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न बना हुआ है...।