👉भाजपा ज़िला अध्यक्ष की घोषणा अगले माह
👉-दावेदारों में शह और मात का खेला जा रहा खेल, गुटबाज़ी निम्न स्तर पर
👉— गणेश परिक्रमा में जुटे दावेदार, पशोपेश में नेतृत्व
✍️फ़तेहपुर। सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के भावी ज़िला अध्यक्ष का मामला अति विवादित हो जाने के फलस्वरूप केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर पहुँच गया है। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार पार्टी का नया ज़िलाध्यक्ष अगले माह मकरसंक्रान्ति के आसपास ही घोषित हो पायेगा। यह भी संभावनायें बलवती है कि नामांकन करने वालों से इतर भी कोई चेहरा हो सकता है।
ग़ौरतलब है कि पिछले माह की बीस तारीख़ को भाजपा अध्यक्ष के लिए यहाँ नामांकन प्रक्रिया पूर्ण हुई थी, जिसमें बच्चे, बूढ़े और जवान कुल पैंतीस लोगों ने दावेदारी ठोकी थी, जिसमें मौजूदा अध्यक्ष प्रमोद द्विवेदी व चार पूर्व अध्यक्षों ने भी नामांकन कराया था। इन दावेदारों में मलवा ब्लाक के पूर्व प्रमुख विकास त्रिवेदी का नाम भी शामिल था, जिसने सभी को चौका दिया था। विकास पूर्व में बसपा से जुड़े थे और कुछ वर्ष पूर्व ही भाजपा में शामिल हुए थे।
ज़िला अध्यक्ष की सीट को लेकर यहाँ उत्पन्न हुई विवाद की स्थिति क्षेत्रीय पदाधिकारियों के पास से होते हुए प्रांतीय नेतृत्व के पास तक पहुँची किंतु संगठन और संघ के बीच एक राय न बन पाने के कारण अब केन्द्रीय नेतृत्व के पास पहुँच गई है, जहाँ से अगले माह मकर संक्रान्ति के आसपास कोई निर्णय होने की बात कही जा रही है।
पार्टी के ज़िला अध्यक्ष को लेकर सांसद व विधायकों के मध्य जगज़ाहिर गुटबंदी का ही प्रतिफल है कि इस मसले पर केंद्रीय नेतृत्व को हस्तक्षेप करने के लिये विवश होना पड़ रहा है! कभी ज़िला स्तर पर विशुद्ध सांगठनिक सेवा का पद माना जाने वाला ज़िला अध्यक्ष का पद अब नेतृत्व के लिये समस्या का सबब बन गया है, जिसके पीछे इस पद का लाभजनक होने के साथ-साथ जनप्रतिनिधियो के हाथो की कठपुतली बन जाना बड़ा कारण है।
भाजपा ज़िला अध्यक्ष पद के लिये जिन 35 लोगों ने दावा ठोका था उनमें नरेंद्र मिश्रा, प्रमोद द्विवेदी, आशीष मिश्रा, राम प्रताप सिंह गौतम, अनिल सिंह, पंकज मिश्रा, अजय सिंह कछवाह, बैजनाथ वर्मा, विकास त्रिवेदी, विजय लक्ष्मी साहू, प्रभुदत्त दीक्षित, मथुरा पासवान, प्रदीप बाजपेई, कमलेश योगी, मनोज शुक्ला, वीरेंद्र दुबे, राकेश तिवारी, दुर्गाशंकर, डा० शिव प्रसाद त्रिपाठी, अखिलेश द्विवेदी, राज कुमार मौर्य, श्रीमती मनोरमा शुक्ला, नीरज उर्फ बजरंग सिंह, मनोज मिश्रा, बलराम चौहान, शीतला पाण्डेय, रमाकान्त त्रिपाठी, चंद्र प्रकाश श्रीवास्तव, धनंजय द्विवेदी, पंकज त्रिवेदी, पंकज त्रिपाठी, राम प्रकाश गुप्ता, दिनेश बाजपेई, शैलेंद्र रघुवंशी, कुलदीप भदौरिया, श्रीमती उर्मिला लोधी व डा० देवाशीष पटेल शामिल है।
सूत्रों की माने तो फ़तेहपुर में पार्टी के अंदर बढ़ती अनुशासनहीनता से हाईकमान काफ़ी चिंतित है और अचरज न होगा अगर इन 35 के अलावा किसी और की घोषणा हो जाये! एक अन्य जानकारी के अनुसार दावेदार अभी भी एक-दूसरे के मामले ऊपर तक पहचा रहे हैं। एक ने जमीनो पर क़ब्ज़े और मिलावट खोरी के मामले ऊपर तक पहुँचाए तो दूसरे ने उसके क्रिया-कलापो का कच्चा चिट्ठा खोलकर रख दिया। हद तो तब हो गई जब एक ने दूसरे दावेदार के चारित्रिक मामले खोलकर रख दिये! एक ने मुक़दमों की सूची पहुँचाई तो एक ने अवैध खनन में सहभागिता का हवाला दिया। एक दावेदार ने दूसरे दावेदार की ठेकेदारी में व्यापक गड़बड़झाले का कच्चा-चिट्ठा खोलकर रखा। इसके अतिरिक्त अन्य दावेदारों द्वारा ऐसे ही कई अलग अलग मामले एक दूसरे के ऊपर तक भेजकर न सिर्फ़ एक दूसरे की पोल खोली बल्कि नेतृत्व के लिये समस्या का सबब बने!