👉उद्देश्य से भटका आर्यसमाज
👉-धार्मिक काम हासिए पर, चल रहा प्राईवेट स्कूल
✍️फ़तेहपुर। जनपद मुख्यालय में आर्य समाज़ी व्यवस्था पर निजी स्वार्थ हावी हो जाने से आर्य समाज़ अपनी स्थापना के उद्देश्य से पूरी तरह भटक गया है। अब तो यहाँ धार्मिक कामकाज भी सिर्फ़ काग़ज़ों में ही होते हैं ..! और पूरी तरह एक परिवार का क़ब्ज़ा हो गया है ...!
उल्लेखनीय है कि जिस बड़ी सोच के साथ दशकों पूर्व आर्य समाज की यहाँ स्थापना हुई थी, वह आज अपने उद्देश्य से पूरी तरह भटक चुका हैं। आर्य समाज की क़ीमती प्रापर्टी पर लंबे समय से एक ही परिवार का क़ब्ज़ा है। अब तो इस परिवार के हाईप्रोफ़ाइल ग्लैमर व अलंबरदारो ने इस परिसर में प्राईवेट स्कूल भी खोल दिया है और कुछ इस तरह से कुंडली मारकर बैठे है कि धार्मिक कामों से जैसे उनका कोई लेना-देना ही नहीं रह गया है!
आसपास के लोग बताते है कि पूर्व में स्थानीय आर्य समाज में आर्य समाज़ी पद्धति से पूजा पाठ का प्रायः आयोजन होता था। ख़ासकर आर्य समाज़ी पद्धति से शादी-विवाह करने व अन्य संस्कार कराने वालों की भी अच्छी-ख़ासी संख्या होती थी किन्तु पिछले कुछ वर्षों से यहाँ पर जो कार्यक्रम व संस्कार हुए उनका उद्देश्य शायद दस्तावेज़ी प्रमाण तक सीमित है।
स्थानीय आर्य समाज का बीघों में फैला परिसर प्रशासनिक जिम्मेदारो की अनदेखी का भी शिकार रहा है। इसे काग़ज़ों में तो चलाया जा रहा है किन्तु ज़मीनी हक़ीक़त कुछ और है। यहाँ के कर्ता-धर्ताओ ने विधिक निर्देशों को सिर्फ़ दाँवपेंच तक सीमित रखा। प्रशासनिक ज़िम्मेदारो ने भी समय समय पर हुई शिकायतों को तवज्जो नहीं दिया या यूँ कहे कि इससे जुड़े हाईप्रोफ़ाइल सिस्टम के चलते इस परिसर के पचड़े से दूर ही रहे...!
पिछले वर्ष अपनी बहन के निधन पर उनके अंतिम संस्कार के लिये शहर के शादीपुर इलाक़े के संजय को इस आर्य समाज में आर्यसमाज़ी पद्धति का जानकर ढूँढ़े नहीं मिला। वही शांतिनगर निवासी राम क़िशुन को अपनी शाली के विवाह के लिये यहाँ से जब पंडित नहीं उपलब्ध कराया जा सका तो कानपुर से सम्पर्क करना पड़ा। इसी तरह कई और लोगों को भी स्थानीय आर्य समाज से कोई सहयोग नहीं मिला। उधर प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाबत भी लोगों को काफ़ी शिकायते है...!
हाईप्रोफ़ाइल सिस्टम की भेंट चढ़ा आर्यसमाज ...!