सरकारी दस्तावेज़ो के साथ जेई ग़ायब ...!

👉योगी राज में भी नहीं सुधर रही सिंचाई विभाग की व्यवस्था  👉-कई एमबी व दस्तावेज़ो के साथ दो वर्ष से जेई ग़ायब
👉- तमाम प्रयासों के बाद भी नहीं दिया चार्ज
👉-कई ठेकेदारों के सालों से फँसा भुगतान, उच्चाधिकारी गंभीर नहीं
   ✍️फ़तेहपुर। योगी राज में सिंचाई विभाग की व्यवस्था पूरी तरह बे-पटरी हो गई है। सिंचाई खण्ड के स्थानांतरित अवर अभियंता आनन्द मोहन पिछले डेढ़ वर्ष से आधा दर्जन से अधिक माप पुस्तिका व अन्य दस्तावेज़ लेकर फ़रार है। बड़ी बात यह है कि उक्त अवर अभियंता पड़ोसी जनपद कौशम्बी में इसी डिविज़न में तैनात है, बावजूद इसके उच्चाधिकारी उसे चार्ज देने के लिये राज़ी नहीं कर पा रहे है! उस पर विभाग के अधीक्षण अभियंता का वरदहस्त होने की बात कही जा रही है। ख़ास बात यह है कि इस मामले में स्थानीय डिवीजन के अधिशासी अभियंता महेन्द्र सिंह पटेल की भूमिका भी संदिग्ध बताई जाती है। कुछ ठेकेदारों ने इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री को भेजकर कड़ी कार्यवाही की माँग की है...!
        ग़ौरतलब है कि सिंचाई विभाग के स्थानीय डिवीजनो में प्रायः गड़बड़झाले से सम्बंधित मामले प्रकाश में आते रहते है। कभी कमीशन खोरी के मामले आबोहवा में तैरते है तो कभी अधिकारियों और कर्मचारियों के योजनाओं से सम्बंधित क्रियाक़लाप चर्चा में होते है। अभी हाल में नहरों की सिल्ट सफ़ाई में व्यापक गड़बड़ियों का मामला शासन स्तर पर पहुँचा है। स्थानीय अधिकांश डिवीजनो के कई जेई और कर्मचारियों के प्रायः डयूटी समय पर भी नशे में रहना तो जैसे आम बात है।
      सिंचाई विभाग का प्रमुख डिवीजन सिंचाई खण्ड में तो अधिकारियों की हीलाहवाली का एक बड़ा मामला तब प्रकाश में आया जब अपने को प्रदेश स्तरीय एक वरिष्ठ बसपा नेता का बहनोई बताने वाले अवर अभियंता आनन्द मोहन का शिकायतन यहाँ से विगत जून 2018 में स्थानांतरण तो कर दिया गया किंतु उक्त रंगबाज़ जेई से योगी बाबा का सिस्टम लगभग पौने दो वर्ष बाद भी चार्ज हस्तगत करवा पाने में असफल रहा है! इस मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि आनंद मोहन आधा दर्जन से अधिक माप पुस्तिकाएँ (एमबी) समेत कई महत्वपूर्ण दस्तावेज़ भी अपने साथ ले गये जिन्हें अभी तक वापस नहीं किया गया है।


     विभागीय अधिकारियों ने इस बड़े मामले को कभी भी गम्भीरता से नहीं लिया और सम्बंधित जेई के ख़िलाफ़ विभागीय कार्यवाही के बाबत भी कोई पत्राचार तक करना मुनासिब नहीं समझा गया। इतना ही नहीं स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों को भी इस सन्दर्भ कोई जानकारी नहीं दी गई। इस मामले में सिंचाई खण्ड के अधिशासी अभियंता महेन्द्र सिंह पटेल की भूमिका भी संदिग्ध रही है। उन्होंने उपरोक्त प्रपत्रो के बाबत न तो विभागीय स्तर से प्रयास किये और न हाई क़ानूनी ज़रिया अपनाया। नतीजन कई विभागीय कार्य प्रभावित चल रहे है और कई ठेकेदारों के भुगतान भी फ़से है ...! 
      भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार इस वित्तीय वर्ष के बमुश्किल तीन सप्ताह शेष बचे है और अगर विभाग ससमय एमबी समेत अन्य दस्तावेज़ वापस नहीं प्राप्त कर सका तो इस वर्ष भी बजट लौट जायेगा और इसे विभागीय अधिकारियों की बड़ी नाकामयाबी ही कही जायेगी। कहते है आनंद मोहन पर अधीक्षण अभियंता का वरदहस्त रहा है। शायद यही कारण है कि वह दावे से कहते है, काग़ज़ात वापस नहीं करूँगा, चार्ज भी नहीं दूँगा जिससे जो बन पड़े कर ले ...! 
     इस सन्दर्भ में जब सिंचाई खण्ड के अधिशासी अभियंता महेन्द्र सिंह पटेल से जानकारी चाही गई तो उन्होंने जेई अजय आनंद के क्रिया क़लापो को आड़े हाथो लेते हुए बताया कि कई बार प्रयास किये गये किंतु उन्होंने चार्ज नहीं दिया। उन्होंने कहा कि इस मामले से उच्चाधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। उन्होंने स्वीकार किया कि एमबी आदि के ग़ायब होने से विभागीय कार्य प्रभावित है। 👆


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