👉कोरोना का भय या ड्यूटी लगने का ख़तरा...!
👉-जनपद के प्रतिष्ठित निजी एमबीबीएस चिकित्सको की अमानवीयता का क्या है राज
👉-पार्टी मीटिंग के बाद से क्लीनिक बंद कर ग़ायब है प्राईवेट प्रैक्टिशनर
✍️फ़तेहपुर। कोरोना वायरस के संक्रमण काल में जनपद के प्रतिष्ठित निजी एमबीबीएस चिकित्सक नदारत है। जनपद में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दम्भ भरने वाली यह चिकित्सीय जमात लाँकडाउन के दो दिन पहले से भूमिगत है। इनके द्वारा सर्जरी-आपरेशन तो दूर साधारण ओपीडी भी पूरी तरह बन्द कर दी गई है। इस निजी चिकित्सीय जमात की चिन्ता कोरोना वायरस के संक्रमण से स्वयं को बचाने की उतनी नहीं है, जितनी आपातकाल में उनको काल किये जाने को लेकर है...!
भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाँकडाउन की घोषणा के दो दिन पूर्व शहर के प्रतिष्ठित निजी एमबीबीएस चिकित्सीय जमात के दर्जन भर से अधिक अलंबरदारो की एक पार्टी मीटिंग शहर के वर्मा तिराहाँ इलाक़े के रेस्तराँ मे आहूत की गई थी, जिसमें कोरोना संक्रमण के ख़तरे का आँकलन करते हुए अनुमान लगाया गया कि स्थिति बिगड़ने पर सेवाशर्त के मुताबिक़ प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग उन्हें काल कर सकता है। सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि इससे पहले कि प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग उन्हें कोई नोटिस थम्हाये क्लीनिको से ओपीडी बन्द कर दी जाये! इस पार्टी मीटिंग में बनी रणनीति के तहत अगले दिन से ही सभी ने अपने-अपने क्लीनिको में ताले डाल दिये गये।
लगभग दो सप्ताह होने को है शहर की निजी चिकित्सा के किसी भी अलंबरदार ने अपने क्लीनिक का शटर नहीं खोला है। बड़ी बात यह है कि इस एमबीबीएस निजी चिकित्सीय जमात को उन लोगों की लेशमात्र भी फ़िक्र नहीं है जिनके कारण वर्षों से इनकी दुकाने चलती रही है। इतना ही नहीं दस बाई दस की जगह से क्लीनिक शुरू करने वाले आज क़रोडो की संपदा के स्वामी बन बैठे है...! बावजूद इसके इन निजी चिकित्सीय अलंबरदारो में मानवीय दृष्टिकोण का सर्वथा अभाव बीमारो और उनके तीमारदारो को अखर रहा है। इस शहर के उन हज़ारों लोगों के कष्ट व विकारों से इनका जैसे लेना- देना ही नहीं रह गया है, जिनसे मामूली परामर्श के ये चिकित्सक मोटी रक़म वसूलते रहे है। इन निजी चिकित्सकों में अधिकांश तो अपना मोबाइल नम्बर तक बंद करके घर बैठे हुए है या रिसीव करना उचित नहीं समझते। जो कभी कभार मोबाइल रिसीव भी कर लेते है, उनका जवाब होता है कि लाँकडाउन समाप्त होने के बाद ही मिलेंगे...!
ग़ौरतलब है कि चारों तरफ हाहाकार के बीच धन्य है फतेहपुर का चिकित्सक परिवार आज जब सबसे ज्यादा जरूरत इनकी चिकित्सा की है तो फतेहपुर के इन नामी-गिरामी चिकित्सकों ने ड्यूटी ना लग जाए, इस डर से अपने आप को भूमिगत कर लिया है। शहर में प्रतिष्ठित वरिष्ठ निजी डॉक्टर एस के सिंह, डॉ० राजीव रतन शर्मा, अनिल चंद्रा, डॉक्टर आरपी सिंह, डॉ० ओझा, डा० उमराव, डा० जेके उमराव, रचना सक्सेना सहित तमाम निजी प्रैक्टिशनर सिर्फ़ इसलिये भूमिगत हो गये है कि कहीं शासन -प्रशासन उनकी ड्यूटी ना लगा दे..!
वही बड़े बड़ों के मैदान छोड़ देने से छोटभइए चिकित्सकों ने भी अपने क्लीनिको के सटर डाउन कर दिये हैं। डेंटिस्टों तक का कोई अतापता नहीं है। इस सन्दर्भ जब जनपद के ज़िम्मेदार सरकारी चिकित्साधिकारी से उनका मत जानने का प्रयास किया गया तो उनका जवाब था कि स्थितियों पर नज़र है। शासन स्तर पर भी शिकायतें हुई है। ज़िला अधिकारी ने भी संज्ञान लिया है।
वही जब इन निजी प्रैक्टिशनरो से सम्पर्क करने का प्रयास किया गया तो वे उपलब्ध नहीं हुए। बताते है कि ये सब अपनी एक यूनियन के सर्क़ुरल के बहाने अपना कर्तव्य मान चुके हैं...!
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👉कोरोना अलर्ट
👉प्रवासी कामगारों का धैर्य बढ़ाएं, आगे की राहसुझाएँ-डीएम
👉- रोजी.रोटी छोड़कर गाँव लौटने वालों का मनोबलबढ़ाने का वक्त
✍️फतेहपुर। जिलाधिकारी संजीव सिंह ने कहा किकोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरेदेश में किये गए 21 दिन के लाक डाउन के बीचविभिन्न राज्यों और शहरों से अपने गाँव लौटने वालोंसे इस वक्त बहुत ही धीरज के साथ पेश आने कीजरूरत है। एक ही झटके में इतना बड़ा फैसला लेकरवह गाँव इसलिए लौटे हैं कि वहां उनका दुःख.दर्दबेहतर तरीके से समझने वाले अपने लोग हैं। ऐसे मेंसभी की जिम्मेदारी उनके प्रति बढ़ जाती है कि उनकेहौसले को बढ़ाने को लोग आगे आएं ताकि कोई भीअपने को अकेला न समझे। इस दौरान अस्थायीस्क्रीनिंग शिविरों आश्रय स्थलों क्वेरेनटाइन में 14 दिनों के लिए रखे गए लोगों को भी समझाएं कि यहउनके अपने और अपनों की भलाई के लिए कियागया है ताकि देश कोरोना वायरस को हराने में सफलहो सके।
प्रधानमंत्री से लेकर स्वास्थ्य विभाग और विभिन्नसामाजिक संगठनों द्वारा लगातार यह अपील की जारही है कि इस मुसीबत की घडी में किसी के भी मन मेंएक पल के लिए यह भाव न आने पाए कि वहअकेला है क्योंकि इस वक्त उसके साथ पूरा देशखड़ा है। कोरोना वायरस के चलते जो स्थिति पैदाहुई है वह स्थायी रूप से रहने वाली नहीं है ए कुछ हीदिनों में यह मुश्किल वक्त खतम हो जाएगा और फिरसे जिन्दगी चल पड़ेगी। ऐसे लोगों के सामने किसीभी तरह की दया को प्रतिबिंबित करने के बजाय जीतके भाव से पेश आयें क्योंकि ऐसे वक्त में आगे केरोजी.रोजगार की चिंता उनको हर पल सता रहीहोगी। ऐसे में वह कोई गलत कदम उठाने को नमजबूर हों इस बारे में भी सभी को सोचना चाहिए।उनको इस मनोदशा से उबारने के लिए ही सरकारउनकी काउंसिलिंग के लिए मनोचिकित्सकों की भीमदद ले रही है।
लोग क्या कहेंगे का भाव मन में न आए रू गाँव लौटनेवालों के साथ सम्मान का व्यवहार करें और समझानेकी कोशिश करें कि उन्होंने समाज और घर.परिवारके लिए बहुत कुछ किया है। इस वक्त उनके द्वारालिया गया यह फैसला बहुत ही सही है। इस तरह केव्यवहार से उनके मन में यह भाव आने ही नहीं पाएगाकि लोग क्या कहेंगे। इसके साथ ही यदि किसी केकोरोना से संक्रमित होने की बात भी सामने आती हैतो उसके साथ किसी भी तरह के दुर्व्यवहार करने सेबचें। इसके लिए जरूरत सिर्फ सावधानी बरतने कीहै क्योंकि सतर्कता में ही कोरोना का सही इलाजनिहित है।
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👉को-आर्डिनेशन कमेटी की बैठक में हालातों पर चर्चा
✍️फ़तेहपुर। विकास भवन सभागार में आज जिलाधिकारी संजीव कुमार सिंह व पुलिस अधीक्षक प्रशांत कुमार के साथ कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते लाकडाउन के संबंध में को-आर्डिनेशन कमेटी की बैठक संपन्न हुई जिसमें फतेहपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष नागेंद्र प्रताप सिंह सहित कई व्यापारी संगठनो के साथ-साथ विभिन्न पार्टियों के पदाधिकारी मौजूद रहे। प्रशासन ने सभी से लाँकडाउन के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए सहयोग की अपील की। इसके अतिरिक्त शासन की एडवाइज़री व नये नियमो के बारे में बताया। सभी ने इस संक्रमण काल में प्रशासन का पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया।
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