👉निधिया निलम्बित होने के बाद प्रस्तावों पर कटौती कर रहे माननीय
-👉कोरोना से जुड़े प्रस्तावों पर भी पड़ने लगा असर, कई जनप्रतिनिधियो ने सिकोड़े हाथ
-👉कईयों के बैरँग होंगे प्रस्ताव, पैसा न होने के बावजूद की थी बढ़-चढ़कर घोषणा
-👉एक-एक करोड़ की घोषणा के बाद साध्वी व जैकी की निधियो से नहीं हो सका पूरा आवंटन
-👉यज्ञदत्त की घोषणा पर मुश्किल होगा अमल, नरेश उत्तम की चुप्पी पर उठे सवाल, हवा-हवाई रही कृष्णा की घोषणा
-👉कोरोना से जुड़े प्रस्तावों पर भी पड़ने लगा असर, कई जनप्रतिनिधियो ने सिकोड़े हाथ
-👉कईयों के बैरँग होंगे प्रस्ताव, पैसा न होने के बावजूद की थी बढ़-चढ़कर घोषणा
-👉एक-एक करोड़ की घोषणा के बाद साध्वी व जैकी की निधियो से नहीं हो सका पूरा आवंटन
-👉यज्ञदत्त की घोषणा पर मुश्किल होगा अमल, नरेश उत्तम की चुप्पी पर उठे सवाल, हवा-हवाई रही कृष्णा की घोषणा
✍️फ़तेहपुर। केन्द्र व प्रदेश सरकारों द्वारा सांसद व विधायक निधि को क्रमशः दो व एक वर्ष के लिये निलम्बित कर देने के बाद माननीयो ने हाथ सिकोड़ना शुरू कर दिया है। एक जनप्रतिनिधि ने कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिये अपनी निधि से एक करोड़ का प्रस्ताव करने के बाद उसे घटाकर दस लाख कर दिया जबकि एक अन्य ने इस मद में प्रस्ताव तो एक करोड़ का किया किंतु खाते में चालीस लाख ही होने से आगे की प्रक्रिया रोक दी। वही फ़िलहाल एमएलसी यज्ञदत्त के प्रस्ताव का भी फ़तेहपुर को लाभ नहीं मिल पायेगा, उनका नोडल ज़िला प्रयागराज होने के कारण डीआरडीए को काग़ज़ी औपचारिकताओं में ही महीनो लग जायेंगे। वही केंद्रीय मन्त्री निरंजन ज्योति को भी अपने प्रस्ताव की अवशेष धनराशि के लिये सोचना पड़ रहा है...!
ग़ौरतलब है कि कोरोनो वायरस के संक्रमण से उपजे हालातों के चलते केन्द्र की मोदी सरकार ने देश के सभी सांसदो की सांसद निधि को अगले दो वर्ष के लिये निलम्बित करने की घोषणा के कुछ समय बाद ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी विधायकों की निधि को एक वर्ष के लिये निलंबित करने का निर्णय ले लिया है। इस संक्रमण काल में माननीयो पर यह लगातार दूसरी चोट है। पहले इनके वेतन के बड़े हिस्से में कटौती हो गई तो अब निधि निलम्बित हो जाने से इनकी हलक सूख गई है। कई माननीयो ने अपनी-अपनी निधि में बची धनराशि को सहेजना भी शुरू कर दिया है और पूर्व में दिये गये प्रस्तावों की पुनर्समीक्षा भी करने लगे है।
केन्द्र और प्रदेश की सरकारों की घोषणा के बाद अब यह तय हो गया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 व 2021-22 में सांसद निधि एवं फ़िलहाल 2020-21 में विधायक निधि निलम्बित रहेगी, जिसे आगे बढ़ाया भी जा सकता है! भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार जनपद की जहानाबाद सीट से विधायक और योगी सरकार में अपना दल कोटे से राज्य मन्त्री कारागार जय कुमार जैकी निधि में अवशेष धनराशि के मामले में कम से कम स्थानीय अन्य विधायकों व सांसद के मुक़ाबले सर्वाधिक धनी है। उनकी निधि का इस माह के पहले सप्ताह तक तक़रीबन पाँच करोड़ रुपये डम्प है। जैकी ने पिछले दो वर्ष में एक भी पैसा ख़र्च नहीं किया है।
कोरोना वायरस से संक्रमण के चलते उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित द्वारा एक पत्रक जारी करके सूबे के सभी विधायकों से अपनी-अपनी निधि का एक-एक करोड़ रुपया मुख्यमंत्री राहत कोष या अन्य किसी कोरोना मद में देने का अनुरोध किया था, जिसके बाद सबसे पहले जैकी ने अपनी निधि का मुँह खोलते हुए एक करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव डीआरडीए को भेजा था किंतु उसके कुछ दिन बाद ही यूपी कैबिनेट ने विधायक निधि निलम्बित करने का फ़रमान सुनाया तो जैकी ने कुछ ऐसा बीच का रास्ता निकाला कि सिर्फ़ दस लाख ही निकल पाये हैं। इसी तरह भाजपा की खाग़ा विधायक कृष्णा पासवान ने योगी सरकार के निर्णय के बावजूद वाहवाही लूटने के उद्देश से एक करोड़ देने की घोषणा ही नहीं की बल्कि प्रस्ताव भी डीआरडीए भेजवा दिया! क्योंकि विधायक कृष्णा पासवान की निधि में बमुश्किल 40 लाख अवशेष हैं, इसलिये एक करोड़ का प्रस्ताव रद्दी हो गया। अब अगर उनकी कोई आपत्ति नहीं होगी तो दस लाख डीएम राहत कोष में भेजे जा सकते हैं...! बशर्ते समय रहते औपचारिकताये पूर्ण हो जाये!स्थानीय भाजपा के जिन अन्य विधायकों ने कोरोना राहत के लिये अलग-अलग मद में मदद के लिये अपनी निधि से तय धनराशि देने का प्रस्ताव डीआरडीए भेजा भेजा था, उनमे किसी की भी काग़ज़ी औपचारिकताए अब तक पूर्ण नहीं हो पाई है!
इसी कड़ी में भाजपा के स्नातक एमएलसी यज्ञदत्त शर्मा द्वारा दो दिन पूर्व अपनी विधायक निधि से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिये इलाहाबाद, झाँसी व फ़तेहपुर को अलग-अलग धनराशि देने का प्रस्ताव भेजा। अब सवाल यह उठता है कि यज्ञदत्त ने जिस मद में पैसा देने की बात कही है, उसके लिये फ़तेहपुर उनका नोडल ज़िला न होने के कारण धन आवंटन में तकनीकी बाधा का भी विभाग को सामना करना पड़ेगा। डीआरडीए इस प्रस्ताव के तहत पहले प्रकरण नोडल जिले में ट्रांसफ़र करे उसके बाद वहाँ से आगे के लिये दिशा-निर्देश मिलेंगे। बताते चले कि समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम भी एमएलसी है और उन्होंने फ़तेहपुर को अपना नोडल ज़िला बना रखा है। समस्या यह है कि उनकी निधि में एक करोड़ चालीस लाख के क़रीब धनराशि भी अवशेष है किन्तु मामला अपोज़ीशन का होने के कारण फ़िलहाल उन्होंने इस मद में कोई निर्णय नहीं लिया है...!
जनपद की सांसद एवं मोदी सरकार में मंत्री निरंजन ज्योति ने अपनी निधि से कोरोना रिलीफ़ फ़ण्ड के साथ साथ तीन अलग-अलग मदों में एक करोड़ रुपये का प्रस्ताव पिछले सप्ताह ही डीआरडीए को भेजा था किन्तु इस प्रस्ताव के इतर सिर्फ़ पच्चीस लाख ही स्वास्थ्य विभाग को भेजे गये हैं। ऐसी संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता कि अवशेष धनराशि के उपभोग पर पुनर्विचार हों! वैसे सांसद निधि में मौजूदा समय में 02 करोड़ 25 लाख रुपये अवशेष तो है किन्तु आगामी दो वर्ष तक निधि निलंबित हो जाने के कारण पूर्व के प्रस्तावों पर पुनर्विचार की संभावनायें काफ़ी बढ़ गई हैं...!
कुल मिलाकर माननीयो को निलम्बित हो चुकी अपनी निधियो के कारण चिंतित होना लाज़िमी है। ऐसे में उन्हें जहाँ अपनी-अपनी निधि में अवशेष धनराशि को सहेजने और सजोने के लिये विवश होना पड़ रहा है। वही कोरोना से सम्बंधित प्रस्तावों पर नये सिरे से सोचना भी पड़ रहा है। उपरोक्त संदर्भ में डीआरडीए के अधिकारियों का कहना है कि धन आवंटन का पूरा अधिकार सम्बंधित माननीय का होता है, जैसा निर्देश होगा उस पर अमल किया जायेगा है ...!
—————————————-
👉सांसद व विधायक निधियों के लिये स्वास्थ्य विभाग को रखना होगा अलग रिकार्ड
✍️फ़तेहपुर। सांसद व विधायक निधियों के उपभोग के लिये स्वास्थ्य विभाग को अब तगड़ी कसरत करनी पड़ेगी। ज़िला अधिकारी संजीव कुमार के निर्देश पर ज़िला ग्राम्य विकास अभिकरण (डीआरडीए) ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय को बाक़ायदे एक पत्रक भेजकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिये हैं। डीआरडीए ने सीएमओ कार्यालय से कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिये आवश्यक संसाधन जुटाने के लिये अपने बजट के अतिरिक्त ज़रूरत पड़ने पर आवश्यक धनराशि के लिये स्टीमेट भेजने को कहा है।
डीआरडीए के परियोजना निदेशक की ओर से भेजे गये इस पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि माननीय जनप्रतिनिधियो द्वारा अपनी निधियो से दिये धनराशि के उपभोग का रिकार्ड अलग रखा जाये जिसे ज़रूरत पड़ने पर उपलब्ध कराना होगा। स्पष्ट किया गया है कि सांसद व विधायक निधि की धनराशि का व्यय स्वास्थ्य विभाग बिल्कुल अलग करेगा। इस धनराशि का ताल्लुक़ न तो विभाग के अपने बजट से होगा और न कोई लेना देना डी॰एम॰ रिलीफ़ फ़ण्ड की धनराशि से ही होगा।
ज्ञातव्य रहे कि ज़िला प्रशासन ने पूर्व में कोरोना मिशन को लेकर 40 लाख रुपये सीएमओ को उपलब्ध कराये थे तथा बाद में ज़रूरत पड़ने पर और भी धन आवंटित करने का आश्वासन दिया था। तीनो मदों की धनराशि का रिकार्ड अलग रखने के निर्देश के पीछे ऐसा माना जा रहा है कि इससे जहाँ पारदर्शिता रहेगी, वही किसी भी स्तर पर गड़बड़ी की संभावनायें कम रहेंगी ...!